बुधवार, 22 अप्रैल 2020

Shahar / शहर (City)

Shahar-City

Shahar / शहर (City)


Shahar / शहर (City)



शहर ..... ही शहर है,
फैला हुआ,
जहाँ तलक जाती नजर है 
शहर ..... ही शहर है|

फैली हुई कंक्रीट 
और का बड़ा अम्बार,
वक्त की कमी से बिखरते रिश्ते,
बढ़ती हुयी दूरी का कहर है,
शहर ..... ही शहर है|

पैरो से कुचला हुआ,
है अपनापन,
बस खुद से खुद के साथ,
विराना सफर है,
शहर ...... ही शहर है|

मेरे दिल को ना भाया यह शहर,
इसमें मेरे गाँव जैसी बात नहीं,
यही मेरे शहर से गाँव,
 तक का सफर है,
शहर ..... ही शहर है|

ऋषभ शुक्ला

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2 टिप्‍पणियां:

  1. आपका हमारे इस कविता मंच के साथ जुड़ने और अपने बहुमूल्य सुझाव के आपका बहुत - बहुत आभार. आपके सुझाव व विचार हमें नित लिखने और हमें सीखने प्रेरणा देते है. शुक्रिया. हिंदी कविता मंच

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आपका हमारे इस कविता मंच के साथ जुड़ने और अपने बहुमूल्य सुझाव के आपका बहुत - बहुत आभार. आपके सुझाव व विचार हमें नित लिखने और हमें सीखने प्रेरणा देते है. शुक्रिया.

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