गुरुवार, 13 मई 2021

Mai Akela Hoon / मैं अकेला हूँ / I am Alone

Mai-Akela-Hoon-I-am-Alone

Mai Akela Hoon / मैं अकेला हूँ / I am Alone

Mai Akela Hoon / मैं अकेला हूँ / I am Alone


ना कोई दोस्त मेरा,
ना है हमदर्द कोई,
अपना कहने को तो कई,
लेकिन अपनापन नहीं है|

मैं अकेला हूँ...

ना कोई है हँसी,
ना कोई ठिठोली करने वाला,
दर्द देने को कई तैयार बैठे हैं
लेकिन कोई हमदर्द नहीं है|

मैं अकेला हूँ....

कोई कैसे इतना,
उलझ जाता है जिंदगी में,
की भूल जाता है,
कि कोई और भी हैं उसे प्यार करने वाला|

मैं अकेला हूँ.....

अब तो मैं ही सुबह,
मैं ही शाम हूँ,
मैं खुद ही दर्द हूँ,
और मैं ही दर्द ओ दवा हूँ|

मैं अकेला हूँ.....


ऋषभ शुक्ला

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4 टिप्‍पणियां:

  1. नहीं चाह मैं हिमालय बन ,
    इतराऊं ।
    नहीं चाह मैं सूरज बन,
    जग में छाऊं ।
    बस मेरी चाह है इतनी,
    जब घोर ,घना, अंधेरा हो ,
    जब कोई थका और हारा हो ,
    जुगनू बन राह दिखाऊँ ।
    बस जुगनू बन राह दिखाऊँ ।

    नहीं चाह मैं कोयल बन ,
    सबको भाऊं ।
    जब चारों तरफ हो सुनापन ।
    दादूर बन टर्राऊं ।
    सोये को फिर जगाऊँ ।
    बस सोये को फिर जगाऊँ ।

    नहीं चाह मैं निर्मल जल बन ,
    नदियों ,झरनों में बह जाऊँ ।
    जब कोई हो प्यासा ।
    मटके से प्यास बुझाऊँ ।
    बस मटके से प्यास बुझाऊँ ।

    हे प्रभु , इतना ही दो ।
    जीवन सफल कर जाऊँ ।
    बस जीवन सफल कर जाऊँ ।

    जवाब देंहटाएं

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