Ham Kaise Jiye / हम कैसे जिये (How We Live)
हम इस दुनिया में कैसे जिये,
जहा हर है तरफ है झूठ और मक्कारी !
जहा हमें बेबस लाचार और मुर्ख,
समझती है ये दुनिया सारी !!
हम इस दुनिया में कैसे जिए ,
अपनी खुशियों का पजामा कैसे सिये !
हो गयी है जिन्दगी मेरी जहर ,
इस कड़वे से सच को कैसे पीये !!
रोज-रोज मरता रहूँ इसलिए की ,
कल सवेरा मेरी अंतिम शाम न बने !
हर समय लगता है डर इस बात का ,
कही हमारा भी उन जैसा अंजाम न बने !!
ऋषभ शुक्ला
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