Geet / गीत / Song
एक दिन मै बैठा गीत लिख रहा था !
दर्द और प्रेम का संगीत लिख रहा था!!
निःशब्द और अक्षर का निर्जन गीत लिख रहा था !
बिना कगज और कलम के एक गीत लिख रहा था !!
निर्जन और विरानी दुनिया की तस्वीर लिख रहा था !
सास बहु के झगङो की उम्मीद लिख रहा था !!
कापते हुये हाथो से इतिहास लिख रहा था !
भारत की आजाती का इन्तकाम लिख रहा था !!
आजाद होकर भी भारत गुलाम हो रहा था !
भारत और पाकिस्तान का संग्राम लिख रहा था !!
रात और दीन की तस्वीर देख रहा था !
सारी दुनिया के एक होने की उम्मीद देख रहा था !!
सब कुछ लिखने के बाद सपनो की उम्मीद लिख रहा था !
अपने सपनो का छोटा सा गीत लिख रहा था !!
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Rushabh Shukla : महेंदी को जितना पीसो और निखार लाती है. कथयित्व का भी ऐसा ही है.
जवाब देंहटाएंShukriya Raju ji
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आपका हमारे इस कविता मंच के साथ जुड़ने और अपने बहुमूल्य सुझाव के आपका बहुत - बहुत आभार. आपके सुझाव व विचार हमें नित लिखने और हमें सीखने प्रेरणा देते है. शुक्रिया.
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