गुरुवार, 5 मार्च 2020

Nari (Ek Bebasi) / नारी (एक बेबसी) - Women (An Helplessness)

नारी एक बेबसी

Nari (Ek Bebasi) / नारी (एक बेबसी) - Women (An Helplessness)



जब नारी ने जन्म लिया था !
अभिशाप ने उसको घेरा था !!


अभी ना थी वो समझदार !
लोगो ने समझा मनुषहार !!


उसकी मा थी लाचार ! 

लेकीन सब थे कटु वाचाल !! 


वह कली सी बढ्ने लगी ! 

सबको बोझ सी लगने लगी !! 


वह सबको समझ रही भगवान ! 

लेकीन सब थे हैवान !! 


वह बढना चाहती थी उन्नती के शिखर पर ! 

लेकीन सबने उसे गिराया जमी पर !! 


सबने कीया उसका ब्याह ! 

वह हो गयी काली स्याह !! 


ससुर ने मागा दहेज़ हजार ! 

न दे सके बेचकर घर-बार !! 


सास ने कीया अत्याचार ! 

वह मर गयी बिना खाये मार !! 


पती ने ना दीया उसे प्यार ! 

पर शिकायत बार-बार !! 


किसी ने ना दिखायी समझदारी ! 

यही है औरत कि बेबसी लाचारी !! 


ना मिली मन्जिल उसे बन गयी मुर्दा कन्काल ! 

सबने दिया अपमान उसे यही बन गया काल !! 


यही है नारी कि बेबसी यही है नारी की मन्जिल ! 

यही दुनिया कि रीत है यही मनुष्य का दिल !! 


मै दुआ करता हूँ खुदा से किसी को बेटी मत देना ! 
यदी बेटी देना तो इन्सान को हैवनीयत मत देना !

@ ऋषभ शुक्ला




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6 टिप्‍पणियां:

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