खिलौना |
Mera Khilauna / मेरा खिलौना (My Toys)
पापा मुझे चाहिए मेरा खिलौना,
मुझे मेरी वो गेंद ला दो ना।
मैंने आज ही उछाला था हवा मे,
देखो बैठ गया है जाकर नभ में।।
वो देखो मेरी गाय जो कल तक हिलती भी ना थी,
आज बड़ी-बड़ी सींगे लेकर।
इधर ही दौड़ी चली आ रही,
कभी पुंछ उठाती, रंभाती अपने ही उमंग मे।।
मेरी गाड़ियाँ जिसे ढकेलता था मैं,
आज बिना धक्का ज़ोर से है चलती।
जिसके आगे था मैं चलता, इक डोर बांध,
वो चलती है मस्ती से मेरे संग में।।
संध्या हो गयी, लेकिन मेरी गेंद खो गयी,
ढूँढ कर लाओ मेरी गेंद को।
मेरी गेंद जो हो गयी थी बड़ी,
चुरा लिया किसी ने, क्या है उसके मन मे ।।
वो रही मेरी गेंद, उसे ला दो,
वह रही कई छोटे-छोटे चीजों के बीच।
सुबह थी लाल अब है सफेद,
कल शायद हो गेंद किसी और रंग में।।
@ऋषभ शुक्ला
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जवाब देंहटाएंहिंदी कविता मंच
आपका बहुत बहुत आभार शिवम् शुक्ला जी
जवाब देंहटाएंCreatiKartta is a Digital Marketing Agency in Dehradun
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