रविवार, 5 अप्रैल 2020

Vakt / वक़्त (Time)

Vakt / वक़्त (Time)


Vakt / वक़्त (Time)


कहते हैं वक्त किसी का नहीं होता,
हर वक्त बदलता रहता है|
वक्त का मारा,
इस दुनियां के सितम सहता है||

कल के बच्चे जो,
खुद के पैरो पर खड़ा भी भी नहीं हो पाता था| 
अब कभी भी सीना ताने, 
सामने पाता हूँ|| 

कल जिसके पहले शब्द को, 
सुनने को लालायित रहता था मै| 
आज वो मुझे, 
सुनना चाहता ही नहीं|| 

ये वक्त का ही तो तकाजा है, 
कि कल अपने सपनो को बेचकर| 
जिसके लिये खुबसुरत पल बुना, 
वही चौराहे पर मेरी बोली लगा गया|| 

मेरे वक्त ने तो इस कदर मारा, 
कि मै अकेला हो गया| 
डरता तो मै उसके लिये हूँ, 
कही वह भी वक्त का शिकार ना हो जाये|| 


आप मेरी कविताओं को अगर पढ़ना चाहे तो नीचे लिंक पर जाकर मेरे ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं|
हिन्दी कविता मंच - https://hindikavitamanch.blogspot.com/

मेरी कहानियों को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें|
मेरे मन की - https://meremankee.blogspot.com/

मेरे यात्रा से संबंधित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें|
घुमक्कड़ी दिल से - https://theshuklajee.blogspot.com/

फेसबुक - @theshuklaji और @theshuklajee
इंस्टाग्राम - @theshuklajii और @theshuklajee
ट्विटर - @theshuklajee
संपर्क करें - rushabhshukla8@gmail.com

2 टिप्‍पणियां:

आपका हमारे इस कविता मंच के साथ जुड़ने और अपने बहुमूल्य सुझाव के आपका बहुत - बहुत आभार. आपके सुझाव व विचार हमें नित लिखने और हमें सीखने प्रेरणा देते है. शुक्रिया.

हिंदी कविता मंच