शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

TV Aur Mera Bachpan / टीवी और मेरा बचपन (TV And My Childhood)

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TV Aur Mera Bachpan / टीवी और मेरा बचपन (TV And My Childhood)


TV Aur Mera Bachpan / टीवी और मेरा बचपन (TV And My Childhood)


मै एक दिन घर में बैठा था,
जब मै था सिर्फ नौ साल का।
और फिर देखा की मेरे पिता जी,
लेकर आ रहे थे एक बड़ा सा कार्टून माल का।।

मैंने दौड़कर जिज्ञासा वस उनसे पूंछा,
क्या है इसमे पिताजी।
इसमे है एक सुन्दर सा गैजेट,
जिसमे है तुम्हारी दूसरी मम्मी जी।।

इसमे है बहूत सुन्दर सी कन्या,
और है हमारी दूसरी साथी।
और है तुम्हारी मम्मी से सुन्दर,
सुशिल और मम्मी के वजन की आधी।।

मैंने मन के आँखों से सोचा और कहा,
पिता जी बाते ही बनाएंगे।
या फिर उस सुन्दर,
सुशिल सी कन्या के दर्शन भी कराएँगे।।

फिर हम दोनों ने मिलकर,
उस अद्भुत से गैजेट को किया चालू।
फिर पहले आस्था चैनल,
और फिर संस्कार चैनल को किया चालू।।

लेकिन वो मेरे पिता जी को,
वो मेरे पिता जी को पसंद नहीं आया।
स्पोर्ट्स, न्यूज और फिर डिस्कवरी,
और अंत में मर्डर-3 पसंद आया।।

मैंने अपने पिता जी के साथ,
मर्डर-3 देखा।
और बाहर जाकर,
 मैंने एक लड़की को 3-पिस में देखा।।

और मैंने बिना समय गवाएं,
उससे अपने प्यार का इजहार किया।
उसने पहले निचे झुककर मुझे देखा,
और फिर मुझपे प्रहार किया।।

अबे ढक्कन तुम अभी बहूत छोटे हो,
तुमने ये कहा से सिखा।
मैंने आज  ही मर्डर-3 देखा,
उससे बहूत कुछ सिखा।।

जब पिताजी ने ये सुना,
तो मुझे बुलाया और पूछा।
और मुझे खूब पिटा,
लेकिन इस घटना के बारे में बिलकुल नहीं सोचा।

की इसके जिम्मेदार हम है,
पुरी तरह से।
और हो गए,
बिलकुल गरम से।।

जब आप बच्चो को अकेला छोड़ आफिस चले जाते  है,
और मम्मी पार्लर चली जाती है।
तो बस घर में सिर्फ एक ही चीज नजर आती है,
टीवी ही मनोरंजन करती है।।

ऋषभ शुक्ला

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4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,अपने बच्चों को अभद्र कार्यक्रमों से दूर ही रखना चाहिए.वर्ड वेरिफिससन परेशानी कर रहा है.कृपया हटा लें.

    जवाब देंहटाएं
  2. माँ बाप को सचेत करती सुन्दर रचना
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post बे-शरम दरिंदें !
    latest post सजा कैसा हो ?

    जवाब देंहटाएं

आपका हमारे इस कविता मंच के साथ जुड़ने और अपने बहुमूल्य सुझाव के आपका बहुत - बहुत आभार. आपके सुझाव व विचार हमें नित लिखने और हमें सीखने प्रेरणा देते है. शुक्रिया.

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