जिम कार्बेट नेशनल पार्क |
Prakruti / प्रकृति / Nature
रात की निर्जनता का सृजन कोई बतला दे !
इस उदासता और कठोरता का मर्म कोई बतला दे !!
सात समन्दर की लहरो का अन्त कोई बतला दे !
इस दुनिया के निर्मम जीवन के अन्त कोई बतला दे !!
प्रेम और घृणा के खेल का अन्त कोई बतला दे !
रात और दिन के मिलन का अन्त कोई बतला दे !!
इस दुनिया के निर्मम रीति रिवाजो का अन्त कोई बतला दे !
इन लोगो के लोभ का अन्त कोई बतला दे !!
मानवता और निर्दयता के संघर्ष का अन्त कोई बतला दे !
मेरे इस कटु जिवन का अन्त कोई बतला दे !!
सुरज चांद सितारो का अन्त कोई बतला दे !
सुरज की चुभती किरणो का अन्त कोई बतला दे !!
मै और तु के संघर्ष का अन्त कोई बतला दे !
मेरे इस प्रकाश खोज का अन्त कोई बतला दे !!
@ ऋषभ शुक्ला
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bahut umda prastuti.
जवाब देंहटाएंAap sabhi mahanubhav kaa yaha aane aur mere utsahvardhan ke liye bahoot-bahoot abhar. shukriya.
जवाब देंहटाएंअति उत्तम रचना
जवाब देंहटाएंhttp://wwwsanvibhatt.blogspot.in/
Bahoot-bahoot shukriya aapaka sohrab ji
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
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