life |
Khatta-Meetha / खट्टा-मीठा (Sour And Sweet)
ये है जीवन के दो पल,
कभी खट्टा, कभी मीठा ।
सुबह से लेकर शाम,
कभी बच्चा, जवान और बूढ़ा ॥
कभी मै हुआ था,
बहुत ही दुखी ।
और ये सोचा की,
पहले मै था तो सुखी ॥
मैंने ये सोचा,
मै क्यों हूँ दुखी ।
इससे पहले भी तो,
मै था दुखी ॥
जन्म से लेकर आज तक,
हुआ ना सुखी ।
क्यों मै हूँ अपने,
आज पर दुखी ॥
जब पापा ने बचपन में डाटा,
तो मै खूब था रोया ॥
फिर एक बर्फ के गोले ने,
दे दी खुशी ॥
दहलीज पर आयी जवानी,
जिम्मेदारी और परेशानी से हो गया दुखी ।
और बच्चे की किलकारी,
देती है खुसी ॥
बुढ़ापे में जब मै हुआ था कमजोर,
तब तो हुआ मै ज्यादा दुखी ।
बेटे और पोतो के संग मस्ती,
कर देती है मुझको सबसे सुखी ॥
ये हूँ मेरे जीवन की सारी कथा,
जिसमे हूँ मै सुखी और दुखी ।
पर शायद मै अब जाकर चिता पर,
खुद पर हूँ मन ही मन खुसी ॥
सुख और दुःख है,
इस जीवन के दो पहलू ।
हमेशा चलो,
समय के साथ ॥
ना कभी करें,
भविष्य की चिंता ।
ना करो अफ़सोस,
और हो उदास ॥
@ ऋषभ शुक्ला
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लाजवाब रचना
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार शिवम जी
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