हम होंगे साथ-साथ ।
धुप हो या छाँव,
देंगे एक दूसरे का साथ ॥
कभी रार और तकरार,
रूठना, मनाना ।
मुश्किल भरी राहो में,
चलेंगे पकड़कर एक दूसरे का हाथ ॥
कभी हो कोई परेशानी,
तो बैठकर एक दूसरे के साथ ।
दिन-रात जागकर,
सुलझा लेते थे समस्या करके बात ॥
परिस्थितियां कैसी भी हो,
हमेशा बनी रही मेरे साथ ।
जिएंगे सातो जनम एक साथ,
ऐसा मन में है विश्वास ॥
जीवनसंगिनी, अर्धांगिनी,
और न जाने है कितने नाम ।
बिना पत्नी के यह जीवन,
होता अपूर्ण, अभिशाप ॥
@ ऋषभ शुक्ला
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5 टिप्पणियां:
बेहतरीन प्रस्तुती
बहुत बहुत आभार ...शिवम् शुक्ला जी
Nice post
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आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
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