Rishte Bikharane Lage / रिश्ते बिखरने लगे / Relationships Begin To Shatter |
Rishte Bikharane Lage / रिश्ते बिखरने लगे / Relationships Begin To Shatter
वक्त चलने लगा,
लोग बदलने लगे...
मुश्किलों के दौर में
वक्त के साथ ...
रिश्ते बिखरने लगे ....
रिश्तो के बिच में अब कई बंधन है,
पहले मिलते, हसते और जो बतियाते थे
इन सभी जज्बातों को मोबाइल निगल गया|
रिश्ते बिखरने लगे ....
जो रोज मिलकर बैठते थे,
अब उन्हें भी मिलने को बहाना चाहिए ...
सभी को उनका एकाकीपन निगल गया|
रिश्ते बिखरने लगे ....
वक्त भी ऐसा बदला है
लोग जो एक दुसरे का सुख-दु:ख बिना कहे जान लेते थे,
अब सारी भावनाओ को,
समय निगल गया|
रिश्ते बिखरने लगे ....
वक्त बदला, लोग बदले,
बदला सकल समाज|
रिश्ते अब है बन गए,
रद्दी का अख़बार|
रिश्ते बिखर गए...
ऋषभ शुक्ला
Hindi Kavita Manch / हिंदी कविता मंच
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5 टिप्पणियां:
"इन सभी जज्बातों को मोबाइल निगल गया|"
वर्तमान परिस्थिति में यह पंक्ति सुस्पष्ट रूप बखानी है। उक्त पंक्ति आज का नया दौर दर्शाती है। मोबाइल नें लोगों को अलग किया। दूरियाँ पैदा की। आज के समय में लोगों को आपस में मिलनें के लिये बहाने की आवश्यकता होती है।
अन्त में एक ही बात सम्पूर्ण पंक्ति संग्रह के लिये---- वाह वाह वाह
आपका हमारे इस कविता मंच के साथ जुड़ने और अपने बहुमूल्य सुझाव के आपका बहुत - बहुत आभार. आपके सुझाव व विचार हमें नित लिखने और हमें सीखने प्रेरणा देते है. शुक्रिया.
हिंदी कविता मंच
जीवन के यथार्थ से परिचय कराती भावपूर्ण रचना
बहुत बहुत आभार अनीता जी
शानदार प्रस्तुति
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