उन्हें कैसे बद्दुआ दू
बचपन से दुध मेरा ही तो पीया है||
मेरी पुछ पकड़कर खेला है ये,
कभी डरता, आगे आता और वापस चला जाता,
लेकिन सुख - दुःख में मेरे साथ ही तो जीया है||
माँ के बाद एक मै ही तो थी,
जो समझ सकती थी इसे,
कल इसे अपना दुध रुपी प्रेम,
आज शरीर भी दिया है||
अब ना इसे मेरी जरूरत रही,
और मै अब बूढी भी हो चली हूँ,
मुझे बेचकर चंद पैसे मिल जायेंगे इसे,
मैंने भी कब इनकार किया है ||
गर मेरे खून देखकर भी,
तेरे चहरे पर मिल जाए खुशी,
तो मै भगवान से खुद के लिए दो
मौत मांग लिया है||
जो मेरी गर्दन काटेगा,
वो भी तो मेरा ही बेटा है,
उसने भी तो बचपन में,
मेरा ही दुध पीया है ||
मेरी दुध के हर एक कतरा तेरा,
शरीर तेरा, मांस तेरा, जिस्म तेरा,
मेरी खुशी तो बस इतने में है की
सारे हिंदुस्तान ने मुझे अपनी माँ मान लिया है||
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3 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर
बहुत सुंदर
Very nice 👍 and appreciated 👍 effort
poetry on ishq in Hindi and urdu
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