Mai Akela Hoon / मैं अकेला हूँ / I am Alone |
Mai Akela Hoon / मैं अकेला हूँ / I am Alone
ना कोई दोस्त मेरा,
ना है हमदर्द कोई,
अपना कहने को तो कई,
लेकिन अपनापन नहीं है|
मैं अकेला हूँ...
ना कोई है हँसी,
ना कोई ठिठोली करने वाला,
दर्द देने को कई तैयार बैठे हैं
लेकिन कोई हमदर्द नहीं है|
मैं अकेला हूँ....
कोई कैसे इतना,
उलझ जाता है जिंदगी में,
की भूल जाता है,
कि कोई और भी हैं उसे प्यार करने वाला|
मैं अकेला हूँ.....
अब तो मैं ही सुबह,
मैं ही शाम हूँ,
मैं खुद ही दर्द हूँ,
और मैं ही दर्द ओ दवा हूँ|
मैं अकेला हूँ.....
ऋषभ शुक्ला
Hindi Kavita Manch / हिंदी कविता मंच
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4 टिप्पणियां:
https://hindikavitamanch.blogspot.com/2019/11/Alone.html
बहुत सुन्दर सृजन ।
आपका आभार मीना जी...
नहीं चाह मैं हिमालय बन ,
इतराऊं ।
नहीं चाह मैं सूरज बन,
जग में छाऊं ।
बस मेरी चाह है इतनी,
जब घोर ,घना, अंधेरा हो ,
जब कोई थका और हारा हो ,
जुगनू बन राह दिखाऊँ ।
बस जुगनू बन राह दिखाऊँ ।
नहीं चाह मैं कोयल बन ,
सबको भाऊं ।
जब चारों तरफ हो सुनापन ।
दादूर बन टर्राऊं ।
सोये को फिर जगाऊँ ।
बस सोये को फिर जगाऊँ ।
नहीं चाह मैं निर्मल जल बन ,
नदियों ,झरनों में बह जाऊँ ।
जब कोई हो प्यासा ।
मटके से प्यास बुझाऊँ ।
बस मटके से प्यास बुझाऊँ ।
हे प्रभु , इतना ही दो ।
जीवन सफल कर जाऊँ ।
बस जीवन सफल कर जाऊँ ।
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