ग़र प्यार का इजहार ना हो,
तो वो प्यार नहीं|
क्या हुआ जो तुमको,
मुझ पर ऐतबार नहीं||
एक बार ऐतबार तो करो,
पूरी शिद्दत से|
फिर कह ना पाओगे,
कि प्यार नहीं||
तुमने ना किया भरोसा,
हम पर|
लेकिन तेरी बेवफाई से,
मुझे कोई ऐतराज नहीं||
मेरी जुबां से भले ही,
ना निकले तेरा नाम|
लेकिन कैसे कह दूँ,
कि दिल मे तेरा नाम नहीं||
ऋषभ शुक्ला
Hindi Kavita Manch / हिंदी कविता मंच
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4 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा सृजन।
आपका बहुत बहुत आभार|
बहुत सुंदर
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